भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्यार के अनुबंध को तुमने भुला दिया / मृदुला झा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ज़िन्दगी की राह में काँटा बिछा दिया।

आई मिलन की रात जब तूनेे दगा किया
जन्मों के प्रेम का तूने अच्छा सिला दिया।

तुमने सोचा एक से होते हैं सारे लोग,
बावफ़ा को तुमने क्यों आकर रुला दिया।

बेटियां इस जुल्म को कैसे बयां करें
मरके दामिनी ने ये सबको बता दिया।

जुल्म था या मेरा कोई भी कसूर था
क्या करें इस दिल का जो इसने दगा दिया।