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प्रक्रिया एकीकरण / शुभा द्विवेदी

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प्रोसेस इंटीग्रेशन पढ़ते हुए
न जाने कैसे आज की सभ्यता पर
मन विचार करने लगा
विचारों का प्रवाह अपने चरम पर था
 चिड़ियों का कोलाहल, उनका बढ़ना, उनका उड़ना
या मछलियों का तैरना
सिखाती हुई प्रकृति सहभागिता, समरसता
अपनी ऊर्जा से दूसरे को उर्जित करना, उष्मित करना
यही है प्रोसेस इंटीग्रेशन, कितना सटीक
जो लघु हैं उन्हें उठाना
ऊर्जा का प्रवाह सामर्थ्यवान से निर्बल की तरफ होना
ऐसी भावना जिसमें पकती हो रोटियाँ साथ-साथ
एक ही साझा चूल्हे पर
मानवीय गुणों का सिद्धांत ही तो है
प्रोसेस इंटीग्रेशन
डर जाता है मन कि कहीं ये सिद्धांत ही न रह जाये
प्रकृति के विरुद्ध ऊर्जा का स्थानान्तरण कैसे संभव हो
अच्छा हो मानव चले एक साथ
प्रक्रियांओं के एकीकरण के साथ
मूल मानव उद्देश्यों के साथ
सही मायनो में यही होगा प्रोसेस इंटीग्रेशन।