भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रश्न-उत्तर / राजकमल चौधरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

‘‘घुरि आउ गाम?
की हमरा परोक्षमे नइ नीक लगैए किछओ?’’
-पतिक पत्रमे प्रश्न।

‘‘नइ, जुनि आउ अहाँ
जावत् ने चाकरी पाबि ली
प्राणेश्वर, नइ त्यागू कलकत्ता।
हम प्रसन्न छी, सकुशल-सानन्द छी
हमरा लेल करू जुनि कोनो चिन्ता
अहाँ समीप होइ तक्कर नइँए कोनो सेहन्ता’’
-ग्रामवधू लिखलनि उत्तर,
आ, एतबा लिखि...
बड़ी काल धरि मौन
सुखायल ठोर, झुकले नयन चकोर?
आ, तदुपरान्त, हिचकी, सिसकी, नोर
नइँ रोकि सकलि कानब सुन्नरि।

की ई कानब सुनत
ट्राम के हड़हड़ खटखट, जूट मिलक भोंपू?
जनसंकुल नगरक भीड़ भाड़मे
हेरायल, जीविका तकैत, पत्र-लेखक पति?

(मिथिला दर्शन: मइ, 1959)