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फल्यो जन भाग्य / कृष्णदास

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फल्यो जन भाग्य पथ पुष्टि प्राकट करण दुष्ट पाखंड मत खंड खंडन किये ।
सकल सुख घोष को तिमिर हर लोक को कृष्ण रस पोष को पुंज पुंजन दिये ॥१॥
सकल मर्यादा मंडन प्रभु अवतरे खलन दंडन करन भक्त निर्मल हिये ।
प्रकट लक्ष्मण सदन निरख हरखत वदन मदन छबि कदन भई पदन नखना छिये ॥२॥
उदित भयो इंदु वृंदा विपिन को हरख वरख रस वचन सुन श्रवण निजजन पिये ।
कृष्णदास निनाथ हाथ गिरिवर धर्यो साथ सब गोप मुख निरख नेनन जिये ॥३॥