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फिर फाग फागुन के / सुनीता जैन

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फिर फाग फागुन के
फूल फूल छींटे
रंग रंग गाए
फिर पात यौवन से
डाल डाल ऐंठे
खुल बूर बौराए
चटके पलाश जंगल
सरसों बैठी बटने
ढलता सूरज
कटे पतंग ज्यों
शाम चली सी गौने