भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फूल खुशियों का नाम है / नवीन दवे मनावत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सुबह होते ही फूल खिल जाते
इनकों कौन जगाता है?
मिलकर फूल माला बन जाते
जुड़ना कौन सिखाता है?
हरदम हंसमुख खिलते रहते
हंसना कौन सिखाता है?
शहीदों की कविता बन जाते
मर्म कौन सिखाता है।
मिट्टी-पत्थर पर चढ़ जाते
जीना कौन सीखाता है?

फूल है जीवन का दर्पण
खिलना इनका काम है
हम तो व्यर्थ समय गंवाते है
फूल समय का भान है।
फूलों से हम कुछ तो सीखे
मानवता का नाम है
फूल है अर्पण, फूल समर्पण
फूल खुशियों का नाम है।