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फूल हर बार आते हैं / अज्ञेय

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 फूल हर बार आते हैं,
ठीक है, हम अन्ततः नहीं आते;
पर हर बार
वसन्त के साथ
वहाँ पहाड़ पर हिम गलता है
और यहाँ नदी भरती है
अमराई बौराती है
और कोयलें कूकती हैं
बयार गरमाती है
और वनगन्ध सब के लिए बिखराती है।
हम नहीं आएँगे,
तो भी, जब हैं,
तब क्यों नहीं गाएँगे

या गाते हुए ही गीत की
कड़ी नहीं दोहराएँगे?

बर्कले (कैलिफ़ोर्निया), 27 अक्टूबर, 1969