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बरगद / प्रत्यूष चन्द्र मिश्र

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हमारे गाँव में बहुत कम बचे हैं बरगद
जो बचे हैं
उन्हें कीड़ों ने चाट लिया
कुछ को धूप ने, हवा ने, पानी ने

इन सबके बीच वक़्त
सबसे बड़ा दीमक साबित हुआ
जो कुतरता रहा हर नए बरगद के विश्वास को

और इस तरह
उन्हें बरगद बनने से
रोकता रहा