भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बाज़ार-2 / मणि मोहन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पसीने की गन्ध मिटाने के लिए
जिसे वे दुर्गन्ध कहते हैं
कितनी चीज़ें बिक रहीं हैं
इस बाज़ार में --
तरह-तरह के ख़ुशबूदार साबुन
स्प्रे, पाउडर और डिओडरेण्ट्स

मनुष्य के पसीने के पीछे
पड़ा हुआ है
पूरा बाज़ार

कुछ न कुछ तो
ख़रीदना ही होगा भाई साहब --
इस तरह नहीं घूम सकते
आप इस धरती पर
पसीने से गन्धियाते हुए ।