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बिंदु / ये लहरें घेर लेती हैं / मधु शर्मा

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‘एक पल की ओट में है कुल जहाँ’
थक चुकीं आँखें निपट हैं मौन
मैं
कौन जो ढूँढूँ तुझे?

और तू?

है कहाँ?