भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ब्रह्म मैं ढूँढयो पुराण गानन / रसखान

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ब्रह्म मैं ढूँढयो पुरानन-गानन बेद रिचा सुनि चौगुने गायन.
देख्यो सुन्यो कबहूँ न कहूँ वह कैसे सरूप औ कैसे सुभायन.
टेरत हेरत हारि परयो रसखानि बतायो न लोग लुगायन.
देख्यो दुरो वह कुंज कुटीर में बैठो पलोटतु राधिका-पायन.