भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भक्ति दान मोहे दिजीये / निमाड़ी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

    भक्ति दान मोहे दिजीये,
    देवन के हो देवा
    करु संत की सेवा...
    भक्ति दान...

(१) नही रे मांगूँ धन सम्पदा,
    सुन्दर वर नारी
    सपना म रे मांगूँ नही
    मोहे आन तुम्हारी...
    भक्ति दान...

(२) तीरथ बरत मोसे ना बने,
    कछू सेवा ना पुजा
    पतीत ठाड़ो परभात से
    आरु देव न दुजा...
    भक्ति दान...

(३) करमन से रिध सिद्ध घणा,
    वैकुंठ निवासा
    किंचित वर मांगूँ नही
    जब लग तन स्वासा...
    भक्ति दान...