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भगवान की क़िस्मत / येहूदा आमिखाई / उज्ज्वल भट्टाचार्य

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भगवान की क़िस्मत
अब वही है
जो पेड़ों, पत्थरों, सूरज और चान्द की है,
जिन्हें पूजना हमने तब छोड़ दिया
जब हमें भगवान में विश्वास हो गया ।

लेकिन उसे हमारे साथ ही रहना पड़ेगा
जिस तरह पेड़ों को, जिस तरह पत्थरों को
सूरज चान्द और सितारों को ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद  : उज्ज्वल भट्टाचार्य