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भगवान से मुलाक़ात / हरजीत सिंह 'तुकतुक'

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ये बात है बहुत पुरानी,
यानि कि हमारे पिछले जन्म की कहानी ।

जैसे ही हम मर के पंहुचे,
भगवान के दरबार में।
बोले बेटा,
क्यों बैठे हो तुम अभी तक कार में।

हमने कहा भगवन्,
सुना था, आप संस्कृत में बात करते हैं।
भगवन् बोले, ना बाबा ना,
हम तो संस्कृत के नाम से भी डरते हैं।

हमने पूछा भगवन्,
उर्दू अंग्रेजी के बारे में क्या विचार है।
भगवन् बोले,
बेटा हम तो हिंदी जानते हैं, बाकी सब बेकार है।

हमने कहा भगवन्, फिर तो,
उर्दू बोलने वालों की जान को बड़ा फस्ता है।
भगवन् बोले, कोई प्राब्लम नहीं,
उनके लिए खुदा के घर का रस्ता है।

हमने कहा भगवन्,
तुम्हारी बात सुन दिल ज़ार ज़ार रोता है।
तुम्हारे यहॉ,
ईश्वर और खुदा अलग अलग होता है।

भगवन् बोले,
जब तुम्हारे यहॉ हिंदू हो सकता है।
मुस्लमान हो सकता है।
तो क्यों नहीं ईश्वर और खुदा यहॉ हो सकता है ।

हमने कहा भगवन्,
सब बेकार की बातें हैं।
सबका खून,
एक होता है।

भगवन् बोले, पर हमारे ठेके पर तो,
तीन तरह का, खून यूज़ होता है।

तभी कुछ लोगों का खून हल्का,
कुछ लोगों का तेज़ होता है।
और एक वैरायटी ऐसी भी होती है,
जिसका खून सफ़ेद होता है ।