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भरि रईं खूब उड़ान छोरियाँ पढ़-लिखि कैं / अशोक अंजुम

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भरि रईं खूब उड़ान छोरियाँ पढ़-लिखि कैं
काटें सबके कान छोरियाँ पढ़-लिखि कैं

अब छोरन ते आगे निकरी जाय रहीं
हैं घर-भर की सान छोरियाँ पढ़ - लिखि कैं

कहूँ उड़ाय रईं जे विमान ऊँचे-ऊँचे
कहूँ पै बोबैं धान छोरियाँ पढ़-लिखि कैं

छोरा उड़ि गये बालक-बच्चन कूँ लै कैं
रक्खें अब तौ ध्यान छोरियाँ पढ़-लिखि कैं

जे दुनियाँ कूँ नयो उजालो बाँटि रईं
छोड़ें नये निसान छोरियाँ पढ़ - लिखि कैं

भैया सिगरे काटैं उमर किराये पै
बनबाय रईं मकान छोरियाँ पढ़-लिखि कैं

इन पै जोर-जुलम करिबौ अब मुसकिल है
खोलै आज जुबान छोरियाँ पढ़-लिखि कैं