भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भींत / विनोद स्वामी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भींत में थान है,
थान में देवता
आरती सूं
देवता तो मानता रैया
पण
भींत कोनी मानी
अर एक दिन
दाब मार्या देवतावां नैं।