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माखन सो मन दूध सो जोबन है दधि ते अधिकै उर ईठी / देव

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माखन सो मन दूध सो जोबन है दधि ते अधिकै उर ईठी ।
जा छवि आगे छपा करु छाछ समेत सुधा बसुधा सब सीठी ।
नैननु नेह चुवै कवि देव बुझावत बैन बियोगि अँगीठी ।
ऎसी रसीली अहीरी अहो कहौ क्योँ न लगै मन मोहनै मीठी ।


देव का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।