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मेघ बूँद / पुष्पिता

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नदी के
द्वीप वक्ष पर
लहरें लिख जाती हैं
नदी की हृदयाकाँक्षा
जैसे मैं

सागर के
रेतीले तट पर
भँवरें लिख जाती हैं
सागर के स्वप्न भँवर
जैसे तुम

पृथ्वी के
सूने वक्ष पर
कभी ओस
कभी मेघ बूँद
लिख जाती है
तृषा-तृप्ति की
अनुपम गाथा
जैसे मैं।