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मेरी चाहत के कुछ बादल / पीयूष शर्मा

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मेरी चाहत के कुछ बादल, अपने दिल पर छाने दो
प्यार भरी बूँदों को अपने, यौवन पर बरसाने दो
रात सजी है दुल्हन जैसी, बाँहों में आ जाओ तुम
काजल-बाजल, कंगन-बंगन, बिंदिया को शरमाने दो