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मेरी टाँगे मांग कर मेरे बराबर हो गये, / उर्मिलेश

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मेरी टाँगे मांग कर मेरे बराबर हो गये,
यानी मेरे शेर पढ कर वो भी शायर हो गये

शेर मेरे, धुन किसी की और किसी की वाह वाह,
जब कई नदियां मिली तो वो भी सागर हो गये

डिग्रियाँ,फिर अर्ज़ियाँ,फिर गोलियां सलफास की
इस तरह कितने ही सपने गुम यहाँ पर हो गये

वो बड़ा अफ़सर था फिर भी सोच में वो पढ़ गया
जब सुना उसके पिता उसके रिटायर हो गए

जिनको खादी पहनकर आती थी भाषण की कला
उनके कच्चे रास्ते भी आज डामर हो गये