भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरी निगाह में है मोजज़ात की दुनिया / इक़बाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज



मेरी निगाह में है मोजज़ात<ref>चमत्कारों</ref>की दुनिया
मेरी निगाह में है हादिसात<ref>दुर्घटनाओं</ref>की दुनिया

तख़ैयुलात<ref>कल्पनाओं</ref> की दुनिया ग़रीब है लेकिन
ग़रीबतर है हयातो-मुमात <ref>जीने-मरने</ref> की दुनिया

अजब नहीं कि बदल दे तुझे निगाह तेरी
बुला रही है तुझे मुमकिनात<ref>संभावनाओं</ref> की दुनिया

शब्दार्थ
<references/>