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मेरे सबसे बुरे सपनो में / येहूदा आमिखाई / उज्ज्वल भट्टाचार्य

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मेरे सबसे बुरे सपनो में
तुम, अपनी चमकीली आँखों के साथ,
हमेशा दीवारों के पास खड़ी रहती हो
जिनकी बुनियाद का पत्थर
एक दिल है ।

जो सारी चीज़ें मैं करता हूँ,
बिछुड़ना उनमें से शर्तिया एक है ।

अपने सपनो में मैं हमेशा एक आवाज़ सुनता हूँ –
यह मेरी आवाज़ नहीं –
और तुम्हारी नहीं,
यह तुम्हारी आवाज़ की बेटी भी नहीं ।

चुनट पड़ी आँखें, मेरी आँखें
बेपनाह थके जानवरों की आँखों की तरह
ऐसे दिनों के लिए बेताब हैं
जो रातों के साथ ख़त्म हो गए।

प्यार का मुखौटा उन्होंने मुझसे छीन लिया
इसी तरह मौत का मुखौटा भी ।
मेरे बिना जाने उन्होंने इन्हें छीन लिया ।
जबकि मैं तुम्हारे पास लेटा था ।

यह मेरा असली चेहरा है ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद  : उज्ज्वल भट्टाचार्य