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मैं ने ही पुकारा था / अज्ञेय

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ठीक है
मैं ने ही तेरा नाम ले कर पुकारा था
पर मैं ने यह कब कहा था
कि यों आ कर

मेरे दिल में जल?
मेरे हर उद्यम में उघाड़ दे
मेरा छल,

मेरे हर समाधान में
उछाला कर सौ-सौ सवाल
अनुपल?
नाम : नाम का एक तरह का सहारा था।

मैं थका-हारा था
पर नहीं था किसी का गुलाम।
पर तूने तो आते ही फूँक दिया घर-बार
हिये के भीतर भी जगा दिया नया हाहाकार ओ मेरे राम!

बर्कले (कैलिफ़ोर्निया), 17 मार्च, 1969