भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मोहक / हेमन्त दिवटे

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 1.

बेटे के मन में कोई मोहक है
जिसका वह इन्तज़ार करता रहता है
या खोजता रहता है उसे
बग़ीचे में, मैदान पर
या इधर-उधर फ़ोन करके

सुबह-सवेरे उसे
मोहक पीठ पर मुक्का मारकर
या उसकी जाँघ पर
चिकोटी काटकर जगाता है
कभी उठता है हड़बड़ाकर वह नींद से
और रोते-रोते ही कहता है
मोहक की स्कूल बस छूट गई
तो कभी यह कि
मोहक ने उससे कुट्टी कर ली

हमने बहुत ढूँढ़ा मोहक को
जन्मदिन पर बुलाने के लिए
बीवी ने छान मारा सारा कॉम्प्लेक्स
चेता दिया सिक्योरिटी को भी
जन्मदिन पर बेटे ने पाँवों को हाथ में बाँधकर
बहुत राह देखी
मोहक की
पर मोहक आया ही नहीं
आख़िर ऊबकर
मोहक का रिटर्न गिफ़्ट और केक-पीस
टेबल पर रखकर
वह सो गया

2.

कार्टून नेटवर्क का प्रोग्राम देखा
उसकी टाइम लाइफ़ की क़िताबें खोजीं
पज़ल-गेम खंगाल डाले
स्कूल में सन्देश भेजा
सबकुछ कर लेने पर भी
मोहक का पता नहीं लगा

एक बार बेटे ने कहा
आज मैं और मोहक
खेल रहे थे टीवी गेम
और जब मैंने उसे 100 मीटर की रेस में
हरा दिया तो
टीवी गेम के सॉफ़्टवेयर ने ख़ूब तालियाँ बजाईं
मगर मोहक ने एक भी नहीं
अब मेरी उससे कुट्टी हो गई है

माँ से पूछा —
क्या मेरा कोई दोस्त आया था खेलने?
माँ ने कहा — नहीं, कोई भी नहीं।
पिता से पूछा —
आप उसके साथ क्या-क्या खेलते हैं?
पिता ने कहा — पज़ल-गेम

जब उससे गुस्सा होकर पूछा तो
वह बोला — कोई नहीं है मेरे साथ खेलने वाला

3.

एक मोहक है
मेरे भी मन में
और मैं भी
बेटे का मन बनकर
न जाने कब से उसकी
राह देख रहा हूँ

मूल मराठी से अनुवाद : सरबजीत गर्चा