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मौसम के बदलने से हालात न बदलेंगे / ईश्वरदत्त अंजुम

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मौसम के बदलने से हालात न बदलेंगे
जो वक़्त ने बख्शे हैं सदमात न बदलेंगे

वो आंख नहीं करती जब तक की मसीहाई
बीमारे-महब्बत के दिन रात न बदलेंगे

बेहलाएंगे क्या दिल को ये चंद हसीं मंज़र
सदियों की उदासी के असरात न बदलेंगे

मैं अगले जनम में भी पूजूँगा सनम तुझ को
मर कर भी मिरे दिल के जज़्बात न बदलेंगे

इक वक़्त मुक़र्रर है हर शख्स की रहलत का
कितने भी करो हीले औक़ात न बदलेंगे

रहते हो हिरासां तुम हालात से ऐ 'अंजुम'
बिन उस की रज़ा के ये हालात न बदलेंगे।