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म्हारे आलीजा री चंग / राजस्थानी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

म्हारे आलीजा री चंग, बाजै अलगौजा रे संग,
फागण आयो रे!

रूंख-रूंख री नूंवी कूपळा, गीत मिलण रा अब गावै
बन-बागां म काळा भंवरा, कळी-कळी ने हरसावै
गूंझै ढोलक ताल मृदंग, बाजे आलीजा री चंग
फागण आयो रे!

आज बणी हर नारी राधा, नर बणिया है आज किसन
रंग प्रीत रो एडो बिखर्यो, गली-गली है बिंदराबन
हिवडै-हिवडै उठे तरंग, बाजे आलीजा री चंग
फागण आयो रे!