भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

यह है मास्टर जी का डंडा / कमलेश द्विवेदी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यह है मास्टर जी का डंडा-यह है मास्टर जी का डंडा.
इसे देखकर याद न रहता बच्चों को कोई हथकंडा.

यह मास्टर जी के सँग आता।
उनसे रखता गहरा नाता।
मास्टर जी को गुस्सा आता।
तो यह भी गुस्सा हो जाता।
हाथ गरम कर देता है यह जब होता है मौसम ठंडा.
यह है मास्टर जी का डंडा-यह है मास्टर जी का डंडा.

क ख ग घ यही पढ़ाता।
दो-दो चार यही बतलाता।
ए बी-सी डी याद कराता।
यानी सब कुछ यही सिखाता।
इसकी मार न खाता है जो वह पाता है जीरो अंडा.
यह है मास्टर जी का डंडा-यह है मास्टर जी का डंडा.

झूठ बोलना इसे न भाता।
शैतानी को मार भगाता।
काम नहीं जो करके लाता।
उसको पूरा मज़ा चखाता।
पीट-पीट कर-कर देता है यह उनको गोबर से कंडा.
यह है मास्टर जी का डंडा-यह है मास्टर जी का डंडा.