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ये छोटा-सा दिल है जिसमें / पुरुषोत्तम प्रतीक

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ये छोटा-सा दिल है जिसमें
हैं सुख-दुख की सारी क़िस्में

एक ज़माना है हर चेहरा,
क्या-क्या ढूँढोगे किस-किसमें ?

हम तो धरती पर रहते हैं,
गिरने का डर कम है इसमें

अँधियारे में है वो लेकिन,
सूरज है उसकी माचिस में

मेरा नाम लिखा है देखो—
पागल ने अपने वारिस में