भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

यौवन / शंख घोष / रोहित प्रसाद पथिक

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दिन रात के मध्य
पक्षियों के
उड़ने की छाया

बीच-बीच में
याद आती हैं
हमारी वे अन्तिम मुलाक़ातें ।

मूल बांग्ला से अनुवाद : रोहित प्रसाद पथिक