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रंगों का समवाय / आशुतोष दुबे

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रंगों का कोई एकांत नहीं
उनका एक समवाय है

वे अपनी सामूहिकता में खुश हैं
उन्हें अकेला न करें

अकेलेपन में वे दम तोड़ देते हैं
और आप अकेले रह जाते है

एक रंगहीन संसार में