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रचिएक कोहबर लिखलूँ हम कोहबर / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

रचिएक<ref>रचकर</ref> कोहबर लिखलूँ हम कोहबर।
लिखलूँ हम मनचित लाय, अनजान लिखुँ कोहबर हे॥1॥
सेहि पइसो सुतलन दुलहा दुलरइता दुलहा।
जवरे दुलहिनियाँ संघें साथ, लिखुँ कोहबर॥2॥
रसे रसे डोलहइ चुनरी लगल बेनियाँ।
होवे लगल<ref>होने लगा</ref> दुलहा दुलहिन बात, अनजान लिखूँ कोहबर॥3॥
हम त हिओ<ref>हूँ</ref> धनि तोहर परनमा।
तू हका<ref>हो</ref> हमर परान, अनजान लिखुँ कोहबर॥4॥

शब्दार्थ
<references/>