भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रागनी 10 / विजेन्द्र सिंह 'फौजी'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दिल की प्यारी तुं मतना चिंता करिये
मैं ठीक ठाक सुं-3 तुं ना डरिये

तनै मिलीं ना होगी प्यारी चिठ्ठी तै मनैं गेरी थी
टेम मिलतें लिखा करुं था करी नहीं कती देरी थी
भतेरी थी दिलदार तुं
ना नैन नीर तैं-3 गोरी तुं भरिये

कर्मां की लिखी नहीं टलै हुक्म चलै भगवान का
होणी हो बलवान रै गोरी ना जोर चलै इन्सान का
इम्तिहान का टेम आरा सै
सच्चे दिल तै गोरी-3 हरि नै सुमरिये

मात-पिता कि सेवा करिये ना कसर छोडिये प्यारी
मैं बिल्कुल अडै मौज म्हं सुं क्यूँ दिल म्हं घबरारी
सै लाचारी छुट्टी होरी बंद
मैं खुलते छुट्टी आऊँ-3 तुं खुब सिगंरिये

मेरी मतना चिंता करिये हर म्हं ध्यान लगाईये तुं
विजेन्द्र सिंह कहै डोहकी आला बिल्कुल मत घबराईये तुं
समझाईये तुं सै मन बावला
कर सच्चे मन तै भगती-3 तुं पार ऊतरिये
तर्ज-ज़िन्दगी इम्तिहान लेती है