भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रासन की सक्कर पी गे / भारतेन्दु मिश्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रासन की सक्कर पी गे
सब घरहेके कोटेदार
गाड़िन ऊँख लइगवै हमते
टका सेरु सरकार।

तिथि त्यौहारु मनाई की विधि-
लरिका खाँय मिठाई
गड़ु राबौ का नहीं ठेकाना
इसे सालु बिताई,
पानी-पत्ता बिना दुबारा
मिलै न नातेदार।

सक्कर बिना छोटकई बिटिया-
की कस चढ़ी बरात
कहा सुनी भै परधानौ ते
बिगरि चुकी है बात,
दूना भाव लगाये बनिया
छूरी लिहे तयार।