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राह दुनिया की अब बदल आए / अनिरुद्ध सिन्हा

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राह दुनिया की अब बदल आए
हम तेरे दर पे सर के बल आए

ये करिश्मा है अपनी शोहरत का
दुश्मनों के भी पर निकल आए

पूछे मुझसे कोई पता तेरा
मेरे हिस्से में वो न पल आए

गाँव के भी फटे लिबासों को
इश्तहारों में तुम बदल आए

जिन सवालों का कुछ जवाब नहीं
उनका कोई तो हल निकल आए