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रोटी / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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रोटी सिकी तवे पर एक।
चाँदी जैसी सुर्ख सफेद।
माँ ने इसे बनाया है।
ममता प्यार मिलाया है।
जो भी इसको खायेगा।
भीमसेन बन जायेगा।
विजय सदा उसकी होगी।
कभी पराजय न होगी।
स्वाद भरी मीठी मीठी।
माँ के हांथों की रोटी।