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लबों पे इश्क़ का दावा हज़ार दिल में शकूक / अमीता परसुराम मीता

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लबों पे इश्क़ का दावा हज़ार दिल में शकूक1
क्या इस तरह भी मोहब्बत निभाई जाती है?

वो एक लम्हा जिसे आप ले के आये थे
वो एक याद न भूले भुलाई जाती है 

अजीब उनको गिला है कहीं नहीं मैंने 
वो दिल की बात जो दिल से निभाई जाती है 

वो आग जिसकी तपिश रूह तक पहुँचती है 
कोई बताए वो कैसे बुझाई जाती है 

वो याद आज भी शादाब2 दिल के सहरा3 में 
वो महकी याद न दिल से मिटाई जाती है

1. बहुत सारे शक 2. हरा-भरा 3. रेगिस्तान