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लिखा भाग का पड़े भोगना / राजपाल सिंह गुलिया

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लिखा भाग का पड़े भोगना,
बोलो किससे कहे कपूरी।
सारे जग के बोली ताने,
गुपचुप रहकर सहे कपूरी।

गर्द मर्द ली छीन राम ने,
दुर्दिन ये काटे ना कटते।
खल कामी दुखिया के दर से,
नहीं हटाए से भी हटते।
लाचारी पर्वत से भारी,
किसका कर अब गहे कपूरी।

छुटकी तो बीमार पड़ी है,
छुटके को भी हुई निवाई।
पिला रही है कडुआ काढ़ा,
बता-बता कर उन्हें दवाई।
जब तक जीना, तब तक सीना,
बैठी कैसे रहे कपूरी।

कठिन हुआ अब महँगाई में,
पेट कुएँ-सा ये भरे नहीं।
उठ जाती हैै साथ भोर में,
भूख निगौड़ी ये मरे नहीं।
इन नयनों से अब असुवन-सी,
पीड़ा बनकर बहे कपूरी।