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वंश परम्परा / ओबायद आकाश / भास्कर चौधुरी

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मछली बाज़ार में जिस मछली के मोलभाव पर
बाताबाती हाथापाई में बदल रही थी
उसके बाजू के डाले से एक कटे हुए कतले का सिर
उछल कर मेरे थैले के अन्दर घुस गया

तब मस्तकविहीन बाक़ी बची देह की ओर ताकते ही
मेरा सारा शरीर रक्त से लाल हो गया

कतले के जो असली ख़रीददार थे
अपने बटुए से क़ीमत चुका कर बोले –

"इस बात पर ज़्यादा परेशान न हों, भाई
आजकल मछलियों ने जिस तरह रक्तपात शुरू किया है
अगर ऐसा ही चलता रहा तो हम-आप सभी इसी तरह रक्त में नहाते रहेंगे"

और तभी बाज़ार के सभी मछली विक्रेता अपने-अपने रक्त वाली वंश परम्परा खोजने में व्यस्त हो गए
कोई बोला : मैं सेन वंश का हूं, मैं पाल वंश का, मैं.......

और देखा गया, बाज़ार में वो कुछ लोग जो मछली के ख़रीददार हैं
केवल वे ही मीन वंश में पैदा हुए हैं

जो लोग ख़ुद ही ख़ुद का मांसभक्षण करते हैं
वे बाज़ार में आकर बाताबाती से ख़ूनाख़ून की हद तक जा सकते हैं ।

बांग्ला से अँग्रेज़ी में अनुवाद : अशोक कर
अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद : भास्कर चौधुरी