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वर्ण कविता (1) / अमरेन्द्र

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अ से अमरूद ठुर्री छौ
गुस्सैलोॅ छैं, गुर्री छौ

आ सें आम तेॅ मीट्ठोॅ छै
लेकिन खैलोॅ जुट्ठोॅ छै

इ से इमली खट्टा थू
उल्लू रोॅ सब पट्ठा ऊ ।