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वह / शम्भु बादल

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वह पत्थर पूजता है
मोम नहीं
इसलिए कि अन्दर का मोम
पिघले नहीं
पत्थर बने

वह निराकार मानता है
रूप नहीं
इसलिए कि असली रूप
दिखे नहीं
अदृश्य बने

और वह
शिकार खेलता रहे
इसी वन में