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वार्ता:सारी बस्ती कदमों मे है ये भी इक फनकारी है / राहत इन्दौरी

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इश्क ने गूँथे थे जो गजरे नुकीले हो गए तेरे हाथोँ मेँ तो ये कंगन भी ढीले हो गए फूल बेचारे अकेले रह गए हैँ शाख पर गाँव की सब तितलियोँ के हाथ पीले हो गए क्या जरुरी है कि है कि हम विषपान करेँ शिव की तरह सिर्फ जामुन खा लिए और होँठ नीले हो गए