विज्ञान ज्ञान के दम पै देखो उड़ते जहाज गगन में / हबीब भारती
विज्ञान ज्ञान के दम पै देखो उड़ते जहाज गगन में।
टमाटर आलू एक पौधे पै अजूबे करे चमन मैं।।
कदे कदे या चेचक माता खूब सताया करती
रोज रोज फिरैं धोक मारते दुनिया सारी डरती
फेर भी काणे भोत हुए थे कोए भरतू कोए सरती
विज्ञानी जिब गैल पड़े तो देखी शीतला मरती
सूआ इसा त्यार कर्या या माता धरी कफन मैं
कुत्ता काटज्या इलाज नहीं था हडख़ा कै मरज्यावैं थे
रोग कोढ़ का बिना दवाई फळ करमां का बतावैं थे
टी.बी.आळी बुरी बीमारी गळ गळ ज्यान खपावैं थे
आज इलाज सबका करदें ना रत्ती झूठ कथन मैं
अग्रि के म्हां धूम्मा कोन्या बिजली चानणा ल्यावै सै
टी.वी. पै तसवीर बोलती देख अचम्भा आवै सै
समंदर के म्हां भर्या खजाना बंदा लुत्फ उठावै सै
राकेट के म्हां बैठ मनुष भाई चन्द्रमा पै जावै सै
एक्सरे तैं जाण पाटज्या के सै रोग बदन में
एक जीव का अंग काट कै दूजे कै इब फिट कट कर दें
मिजाइल छोड़ैं बटन दाब कै हजार कोस पै हिट कर दें
सौ सौ मंजिली बणी इमारत अपणी छाप अमिट कर दें
कमप्यूटर जबान पकड़ कै तेजी तैं गिट पिट कर दे
सुख सुविधा हजार तरहां की साईंस लगी जतन मैं
नई नस्ल के पशु बणा लिए नई किस्म की फसल उगाई
नये नये औजार बणाकै पैदावार कई गुणा बढ़ाई
फेर बी भूखे रहैं करोड़ों बिन कपड़े बिन छत के भाई
हबीब भारती कारण को ढूंढो आपस मैं क्यूं करैं लड़ाई
साइंस कै मत दोष मढ़ो ना इसका हाथ पतन मैं