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विनती / रामचंद्र शुक्ल

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जय जय जग नायक करतार।
करत नाथ कर जोरि आज हम विनती बारम्बार।
प्रात समीर सरिस भारत महँ हिन्दी करै प्रसार ।।

जय जय जग नायक करतार।
खोलै परखि उनीदे नयनन दरसावैं संसार।
बुधा हिय सागर बीच उठावै भाव तरंग अपार ।।

जय जय जग नायक करतार।
देश देश के मृदु सुमनन सों भरि सौरभ को थार।
बगरावै यदि भूमि बीच जो हरै समाज विकार ।।

जय जय जग नायक करतार।
मेटे सब असान ताप करि शीतलता संचार।
विविध कला किसलय कल रणदरावै प्रतिद्वार ।।
जय जय....