भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

विभाजन / भारत भूषण अग्रवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुमने सारे ठाठ इस आधार पर बनाए थे
कि एक की विजय
और दूसरे की पराजय होगी
तुमने दुनिया के लोगों को
या तो शत्रु समझा
या फिर मित्र
यानी तुम दो की सत्ता में विश्वास करते रहे
यह भूलकर
कि यह विभाजन दुनिया का नहीं
तुम्हारे मन का अपना है--।