भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वियोगी हरि / परिचय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वियोगी हरि का जन्म छतरपुर राज्य में कान्यकुब्ज ब्राह्मण वंश में हुआ था। पालन-पोषण एवं शिक्षा ननिहाल में घर पर ही हुई। उन्होंने अनेक ग्रंथों का संपादन, प्राचीन कविताओं का संग्रह तथा संतों की वाणियों का संकलन किया। कविता, नाटक, गद्यगीत, निबंध तथा बालोपयोगी पुस्तकें भी लिखी हैं। ये हरिजन सेवक संघ, गाँधी स्मारक निधि तथा भूदान आंदोलन में सक्रिय रहे। वियोगी हरि ने लगभग 40 पुस्तकें रची हैं। इनके मुख्य कविता संग्रह हैं- 'भावना, 'प्रार्थना, 'अंतर्नाद, 'प्रेम-शतक, 'मेवाड-केसरी तथा 'वीर-सतसई आदि। ये आधुनिक ब्रजभाषा के प्रमुख कवि, हिंदी के सफल गद्यकार तथा समाज-सेवी संत थे। 'वीर-सतसई पर इन्हें मंगलाप्रसाद पारितोषिक मिला था।