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वीरां की मैं कथा सुणाऊं, सुण ध्यान बात पै ला कै / हबीब भारती

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वीरां की मैं कथा सुणाऊं, सुण ध्यान बात पै ला कै।
आन-बान सम्मान बचे सदा ज्यान की बाज़ी ला कै।।
 
प्रमुख योद्धा हरियाणे मैं उदमी राम था नाम जिसका,
सोनीपत के पास बसै यो लिबासपुर था गाम जिसका,
टांक सरोहा खाप का नेता रहा निराळा काम जिसका,
राठधणे में पूछ लियो भाई चर्चा होता आम जिसका,
सर्वखाप की फौज बणाई सिर पै जोखम ठा कै।।
 
ची$फ कमाण्डर उदमी गर्ज्या, राज हिल्या था गोरां का,
आगै होके भाज लिए जणू टोळा भाज्या ढोरां का,
गोरा पलटन रगड़ दई थी, गजब हौंसला छोर्यां का,
दिया बहादुरशाह को तख्त हिंद का, राज खोस लिया चोरां का,
मौत के घाट उतारे शत्रु कसम देश की खाकै।।
 
मछारां नै खेल रच्या भाई उल्टा पासा होग्या था,
दिल्ली मैं फिर गोरे आग्ये, मोटा रास्सा होग्या था,
देशभक्त गिरफ्तार कराये जी नै सांसा होग्या था,
पापी हडसन के ज़ुल्मां का घर-घर बासा होग्या था,
सज़ा मौत की सुणा दई ढोंगी पंचायत बुला कै।।
 
कोर्ट मार्शल सज़ा मुताबक सूळी गया चढ़ाया था,
तन के म्हां गुल मेख ठोक दी बड़ के पेड़ टंगाया था,
सैंतीस दिन तक खून बह्या, वो पल-पल गया सताया था,
हंसते-हंसते शूरवीर वो वीर गति को पाया था,
हबीब भारती प्रणाम वीर को अपणा शीश निवा कै।।