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वे जो फक्कड़ कबीर होते हैं / विनोद तिवारी

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वे जो फक्कड़ कबीर होते हैं
मन के बेहद अमीर होते हैं

संप्रदायों में बँध नहीं पाते
जिनके रौशन ज़मीर होते हैं

वे क्षमाशील नम्र होते हैं
जो हक़ीक़त में वीर होते हैं

जो चले हैं लकीर से हट कर
लोग वो बेनज़ीर होते हैं

तोड़ देते है‍ दंभियों का ग़ुरूर
प्राय: वो जो फ़क़ीर होते हैं