भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शतक (कविता) / कल्पना मिश्रा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कभी एक रन कभी दो,
कभी चौका कभी छक्का
कभी जीरो भी आएगा
बस टिके रहो,
ये जीवन की पिच है
गूगली भी आएगी,
और आएगा बाउंसर भी
यॉकर भी फेके जाएंगे
बस टिके रहो,
जो टिकेगा वही मारेगा शतक
वही बनेगा मैन ऑफ मैच
वही मैच जिताएगा
वही इतिहास दोहराएगा
बस टिके रहो।।