भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

संघर्षों का तूफाँ झेलो / दीनानाथ सुमित्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

संघर्षों का तूफाँ झेलो
नाटक सदा सत्य का खेलो
तुम्हें आस्था रखनी होगी
न्याय, त्याग जीवन, जहान में
 
बन कर तुम चाणक्य लिखोगे
अर्थशास्त्र का पन्ना नूतन
तुम यह जीवन गगन बनाओ
इसे बनाओ जग का जीवन
फहराओगे सच का झंडा
तुम ही ऊपर आसमान में
तुम्हें आस्था रखनी होगी
न्याय, त्याग जीवन, जहान में
 
 
बेटी बन झाँसी की रानी
महातेज से तेज मिलाना
उजड़ा हुआ चमन है सारा
लाल गुलाबी फूल िखलाना
आग लगा देना तुम सारे
पूँजी के काले खदान में
तुम्हें आस्था रखनी होगी
न्याय, त्याग जीवन, जहान में
 
तुम भारत की बनो एकता
जन-जन का सदभाव बनो तुम
बरगद-सा बनकर विशाल तुम
सबकी खातिर छाँव बनो तुम
नाम तुम्हारा विश्व जपेगा
पूजा में, जप में, अजान में
तुम्हें आस्था रखनी होगी
न्याय, त्याग जीवन, जहान में