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संसद में आरोप उछाले गए सदा/ विनोद तिवारी

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संसद में आरोप उछाले गए सदा
इक दूसरे में खोट निकाले गए सदा

हमें ल्गा वे अब पद से हट जाएँगे
वे अपनी कुर्सियाँ बचा ले गए सदा

फ़सलों से मेहनत का प्रतिफल नहीं मिला
आँधी और तूफ़ान उड़ा ले गए सदा

सर्दी-गर्मी निर्धन के प्रतिकूल ही रहे
चौमासे सुख-चैन बहा ले गए सदा

झूठ हुआ वाचाल और है गूँगा सच
अँधियारों से छले उजाले गए सदा